Tenali Rama Story in Hindi – तेंनाली राम की कहानी

इस लेख में तेनाली राम की जबरजस्त कहानियाँ लिखी गई हैं। तेनाली राम की कहानी भारत में सबसे अधिक कहानियों में पढ़े जाने में से एक हैं। यह कहानियाँ छोटे बच्चों से लेकर बड़े लोग भी बहुत उत्साह से पढ़ते हैं। ऐसी कहानियाँ हमें कुछ ना कुछ सिख देतीं हैं जो हमारे जीवन में बहुत कुछ सिखने को मिलता है। उम्मीद है निचे दी गई कहानियों को पढ़कर आपको मजेदार लगेंगी साथ ही यह कहानियाँ  छोटे बच्चो को भी सुनाएं। 

Tenali Rama Story in Hindi

Tenali Rama Story in Hindi

तेंनाली राम की कहानी

तेंनाली राम, जिन्हें तेंनाली रामा कृष्ण के नाम से भी जाना जाता है, दक्षिण भारत के विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक प्रसिद्ध विदूषक और विद्वान थे। तेंनाली राम अपनी बुद्धिमानी, हाजिरजवाबी और चतुराई के लिए प्रसिद्ध थे। उनके कई किस्से आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय हैं और अक्सर बच्चों को सुनाए जाते हैं।

एक बार की बात है, विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय ने अपने दरबारियों से पूछा कि संसार की सबसे बड़ी शक्ति क्या है? सभी दरबारियों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए। किसी ने कहा कि पैसा सबसे बड़ी शक्ति है, तो किसी ने कहा कि ज्ञान। राजा ने सभी की बातें सुनीं लेकिन संतुष्ट नहीं हुए। अंत में, उन्होंने तेंनाली राम से पूछा।

तेंनाली राम ने राजा से कहा कि सबसे बड़ी शक्ति ‘भय’ है। राजा को तेंनाली राम का उत्तर अजीब लगा और उन्होंने उससे इसे साबित करने को कहा। तेंनाली राम ने राजा से एक दिन का समय माँगा और योजना बनाने में जुट गए।

अगले दिन, तेंनाली राम ने राजा के बगीचे में एक नकली भूत का इंतजाम किया। जब रात हुई, तेंनाली राम ने राजा को बगीचे में जाने के लिए कहा। राजा ने अपने सेवकों के साथ बगीचे में प्रवेश किया। जैसे ही राजा बगीचे में पहुंचे, उन्होंने देखा कि वहाँ एक डरावना भूत खड़ा है। भूत को देखकर राजा और उनके सेवक घबरा गए और भागने लगे। लेकिन तभी तेंनाली राम ने भूत की पोल खोल दी और दिखाया कि वह भूत असली नहीं, बल्कि नकली था।

राजा ने तब महसूस किया कि तेंनाली राम सही थे। डर वास्तव में एक ऐसी शक्ति है, जो किसी भी व्यक्ति को हिला सकती है। राजा ने तेंनाली राम की बुद्धिमानी की तारीफ की और उसे ढेर सारी इनाम दी।

तेंनाली राम की कहानियाँ न केवल मनोरंजक होती हैं, बल्कि वे जीवन में उपयोगी शिक्षा भी प्रदान करती हैं। उनकी चतुराई और हाजिरजवाबी ने उन्हें राजा के दरबार में विशेष स्थान दिलाया और आज भी उनकी कहानियाँ हमें यह सिखाती हैं कि मुश्किल परिस्थितियों में भी कैसे समझदारी से काम लिया जाए।

Tenali Ram Ki Buddhimaani – तेंनाली राम की बुद्धिमानी

तेंनाली राम की बुद्धिमानी

तेंनाली राम, विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक प्रमुख विदूषक और विद्वान थे। तेंनाली राम अपनी हाजिरजवाबी और चतुराई के लिए प्रसिद्ध थे। उनके कई किस्से लोगों को मनोरंजन के साथ-साथ सीख भी देते हैं।

एक बार की बात है, विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय ने दरबार में पूछा कि संसार की सबसे बड़ी शक्ति क्या है  दरबारियों ने विभिन्न उत्तर दिए जैसे धन, ज्ञान, या सेना। लेकिन राजा किसी भी उत्तर से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हुए। अंत में उन्होंने तेंनाली राम से पूछा।

तेंनाली राम ने कहा कि सबसे बड़ी शक्ति ‘भय’ है। राजा को यह उत्तर समझ में नहीं आया और उन्होंने तेंनाली राम से इसे साबित करने के लिए कहा। तेंनाली राम ने राजा से एक दिन का समय माँगा।

अगले दिन, तेंनाली राम ने राजा के बगीचे में एक नकली भूत का इंतजाम किया। जब रात हुई, तेंनाली राम ने राजा को बगीचे में जाने के लिए कहा। राजा अपने सेवकों के साथ बगीचे में पहुंचे, और वहाँ उन्होंने एक डरावना भूत खड़ा देखा। भूत को देखकर राजा और उनके सेवक डर से भागने लगे। तभी तेंनाली राम ने भूत की सच्चाई उजागर की और बताया कि वह भूत नकली था।

राजा ने महसूस किया कि तेंनाली राम का कथन सही था। भय वास्तव में एक बहुत बड़ी शक्ति है, जो किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। राजा ने तेंनाली राम की बुद्धिमानी की सराहना की और उसे इनाम दिया।

तेंनाली राम की कहानियाँ न केवल मनोरंजन के लिए, बल्कि जीवन में व्यावहारिकता और चतुराई के महत्व को भी दर्शाती हैं। उनकी हाजिरजवाबी और चतुराई आज भी हमें यह सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी विवेक से काम लेना कितना महत्वपूर्ण है।

तेनालीराम की कहानी : राजगुरु की चाल

तेनालीराम और राजगुरु की चाल

विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में तेनालीराम अपनी बुद्धिमानी और हाजिरजवाबी के लिए मशहूर थे। हालांकि, उनकी लोकप्रियता के कारण दरबार के कुछ लोग उनसे ईर्ष्या करते थे। उनमें से एक था राजगुरु, जो हमेशा तेनालीराम को नीचा दिखाने की कोशिश करता रहता था।

एक दिन राजगुरु ने राजा से कहा, महाराज, तेनालीराम के अलावा भी कई विद्वान और समझदार लोग हैं, लेकिन वे दरबार में स्थान नहीं पा सके हैं। मुझे लगता है कि हमें तेनालीराम की बुद्धिमानी की परीक्षा लेनी चाहिए। राजा ने राजगुरु की बात मान ली और तेनालीराम की परीक्षा लेने का निर्णय किया।

राजगुरु ने एक योजना बनाई और राजा से कहा, महाराज, हमें तेनालीराम को एक ऐसी चुनौती देनी चाहिए, जिसमें उसे अपनी जान की बाजी लगानी पड़े। अगर वह इसे पूरा कर लेता है, तो उसकी बुद्धिमानी साबित हो जाएगी।

राजा ने सहमति जताई और तेनालीराम को बुलाया। उन्होंने तेनालीराम से कहा, तेनालीराम, तुम्हारी बुद्धिमानी की बहुत चर्चा है। अब तुम्हें अपनी समझदारी साबित करनी होगी। तुम्हें तीन दिन के भीतर मेरे लिए एक ऐसा घोड़ा लाना होगा जो न तो पूरी तरह सफेद हो और न ही पूरी तरह काला हो। अगर तुम ऐसा नहीं कर पाए, तो तुम्हें दरबार छोड़ना पड़ेगा।

तेनालीराम ने चुनौती स्वीकार कर ली और घर लौट आया। उसने तीन दिनों तक सोचा और फिर तीसरे दिन दरबार में हाजिर हुआ। उसने कहा, “महाराज, मैंने वह घोड़ा ढूंढ लिया है, लेकिन उसे लाने के लिए मुझे एक विशेष प्रकार की रस्सी चाहिए”।

राजा ने पूछा, वह कैसी रस्सी है ? तेनालीराम ने जवाब दिया, महाराज, वह रस्सी न तो पूरी तरह रेशमी होनी चाहिए और न ही पूरी तरह सूती है।

राजा और दरबार के लोग इस उत्तर को सुनकर हैरान हो गए। उन्होंने समझा कि तेनालीराम ने बहुत चतुराई से उनकी बात को पलट दिया है। राजा को तेनालीराम की बुद्धिमानी का एहसास हुआ और उन्होंने राजगुरु को फटकार लगाई कि वह तेनालीराम को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहा था।

राजगुरु को अपनी चाल में असफलता मिली और तेनालीराम ने अपनी चतुराई से एक बार फिर से राजा और दरबारियों का दिल जीत लिया। इस घटना के बाद तेनालीराम की प्रतिष्ठा और भी बढ़ गई।

Tenali Rama Short Story in Hindi With Moral

तेंनाली राम की कहानी: चालाक व्यापारी

कहानी:

विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में तेंनाली राम अपनी बुद्धिमानी और चतुराई के लिए प्रसिद्ध थे। एक बार की बात है, एक चालाक व्यापारी ने राजा के पास आकर कहा कि उसके पास एक जादुई बेल है जो किसी भी वस्तु को सोने में बदल सकती है। व्यापारी ने राजा को आश्वस्त किया कि अगर वह उस बेल का प्रयोग करेगा, तो वह अपने राज्य के खजाने को भर सकता है।

राजा ने तेंनाली राम को बुलाया और व्यापारी की योजना के बारे में बताया। तेंनाली राम ने व्यापारी की बात सुनी और सोचा कि उसे इस जादुई बेल के बारे में और जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।

अगले दिन, तेंनाली राम व्यापारी के पास गए और उसे चुनौती दी। तेंनाली राम ने व्यापारी से कहा, मैं तुम्हारे बेल की क्षमता को साबित करना चाहता हूँ। चलो, इसे राजा के दरबार में आजमाते हैं। व्यापारी ने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया।

दरबार में, व्यापारी ने बेल को दिखाया और कहा कि वह सोने की वस्तु तैयार कर देगा। उसने बेल को एक साधारण पत्थर पर रखा और कहा, “देखिए, यह पत्थर अब सोने में बदल जाएगा।” लेकिन जब बेल का प्रयोग किया गया, तो पत्थर वही का वही रहा।

राजा ने तेंनाली राम की ओर देखा, और तेंनाली राम ने मुस्कराते हुए व्यापारी से कहा, “महाराज, क्या आप इस बेल का प्रयोग मेरे लिए एक सामान्य बर्तन में सोने की मात्रा को बदलने के लिए कर सकते हैं?”

व्यापारी ने सहमति दी और बेल को एक साधारण बर्तन पर रखा। बर्तन में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। दरबार के लोग व्यापारी की जादुई बेल को देख हैरान रह गए। अंततः, तेंनाली राम ने व्यापारी की चालाकी को उजागर किया और साबित कर दिया कि बेल वास्तव में जादुई नहीं थी।

सिख:

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि धैर्य और बुद्धिमानी से किसी भी छल-कपट को उजागर किया जा सकता है। किसी भी वस्तु या व्यक्ति की सच्चाई जानने के लिए सतर्क रहना और सावधानी से कार्य करना महत्वपूर्ण है।

 

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